[Verse 1]
उस मोड़ पे जहाँ धूप ठहरी,
बूँदों ने कहानी कह दी,
पतझड़ की उन खामोश बातों में,
यादों की छाया बह चली।
[Chorus x2]
हाय, हाय, बहते राहों में,
हाय, हाय, धड़कनें चाहों में,
तारों से रोशन ये निशा,
हाय, हाय, पल चले जैसे सदा।
[Verse 2]
चाँदनी जब चुपके से आई,
सपनों पे उसने रंग चढ़ाया,
कदमों के पीछे रेत बिछी थी,
जैसे किस्मत खुद ही गुनगुनाया।
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