आसमान के नीचे, चाँदनी की रोशनी में,
हवा पर हल्की सी फुसफुसाहट बहती है।
तारों का पीछा करते हुए, हम आजाद और साहसी घूमते हैं,
सपनों में छुपते हैं, अनकही कहानियाँ संजोते हैं।
मुझे झूठ बोलना पड़ता है, यह मुझे रुलाता है,
कोशिश करने को जाना पड़ता है, अलविदा कहना संभव नहीं।
मुझे झूठ बोलना पड़ता है, यह मुझे रुलाता है,
कोशिश करने को जाना पड़ता है, ओह क्यों, ओह क्यों।
लहरों के पार, रहस्य धीरे से बोलते हैं,
छाया की भूलभुलैया में, हम दिल की चाहतों की खोज करते हैं।
भीतर की आग, उज्ज्व्वल और अदृश्य, जलती रहती है,
चुप चाप मुस्कुराहट में, जो हो सकता था, उसे खोजते हैं।
                                                            
                                                    
                                                                    
                                        
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